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मंगलवार, 19 अगस्त 2014

नंबर वन सीएम की हूटिंग !

नंबर वन हरियाणा, हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने तो कुछ ऐसी ही परिभाषा दी है, 5 साल के शासन के बाद हरियाणा को। ये बात अलग है कि हरियाणा के लोगों को ही शायद ये पता नहीं है कि उनका हरियाणा हुडडा के कार्यकाल में देश में नंबर वन राज्य हो गया है। लेकिन हुड्डा साहब लोगों को बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हरियाणा में चुनाव की आहट के साथ ही अख़बार और टीवी पर हुड्डा सरकार के विज्ञापन को कम से कम यही बयां कर रहे हैं। जाहिर है इस पर करोड़ों रूपए पानी की तरह बहाया भी जा रहा है, लेकिन अगला चुनाव जीतना है तो हुड्डा साहब तो कुछ तो करना ही पड़ेगा। लेकिन हुड्डा साहब की ये दलील शायद हरियाणा वासियों को रास नहीं आ रही है।
रियाणा के कैथल में नशनल हाईवे प्रॉजेक्ट की आधारशिला रखने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मंच पर मौजूद हरियाणा के मुख्यमंत्री हुड्डा की जब बोलने की बारी आई तो वहां मौजूद जनता ने हुड्डा की जमकर हूटिंग की। लोगों को हुड्डा को सुनना तक गवारा नहीं था और वे हुड्डा को हाथ हिलाकर बैठ जाने के ईशारे तक करने लगे। ये हुड्डा साहब के हरियाणा के ही लोग थे, जिस हरियाणा को हुड्डा साहब सरकारी विज्ञापनों के जरिए नंबर वन बनाने के दावे करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, लेकिन हरियाणा को नंबर वन(जैसा की हुडडा दावा कर रहे हैं) बनाने वाले मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा तक को सुनने के लिए हरियाणा के ही लोग तैयार नहीं है।
सरेआम हूटिंग हो और मुख्यमंत्री हुड्डा को गुस्सा न आए, ऐसा कैसे हो सकता था। हुड्डा साहब को भी ये नागवार गुजरा और हुडडा साहब ने तो ये तक ऐलान कर दिया कि वे भविष्य में पीएम मोदी के साथ किसी रैली में नहीं जाएंगे। हुड्डा ने मोदी पर ये तक आरोप लगा डाला कि प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम का राजनीतिकरण कर दिया।
कैथल में मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ जमकर बोले और भारत को भ्रष्टाचार की बीमारी से मुक्त कराने का वादा जनता से किया, साथ ही मोदी ने हरियाणा के समग्र विकास का वादा भी हरियाणा की जनता से किया। ऐसे में हुड्डा को इसमें राजनीतिकरण कहां से नजर आया, ये समझ से बाहर है, खैर सरेआम हूटिंग के बाद हुड्डा को कुछ तो बोलना ही था। वैसे भी हरियाणा में चुनावी सीजन अपने पूरे परवान पर है, ऐसे में हुड्डा क्यों न मोदी के खिलाफ कुछ न बोलते, यही सही।
बहरहाल कार्यक्रम के राजनीतिकरण का तो पता नहीं लेकिन आगामी चुनाव जीतने का मिशन लेकर चल रहे हुड्डा ने जनता के पैसे का विज्ञापनीकरण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रूपए सरकारी विज्ञापनों में उड़ा कर मुख्यमंत्री अपना व कांग्रेस सरकार का महिमामंडन करने में जी जान से जुटे हुए हैं।
खैर जो भी हो, लेकिन ये बात समझ में नहीं आती कि अगर सरकारें काम करती हैं, तो फिर ये सब जनता को बताने के लिए उसे करोड़ों रूपए विज्ञापनों में खर्च करने की जरूरत क्यों पड़ती हैं ? अच्छा होता कि ये करोड़ों रूपए भी विकास कार्यों में खर्च किया जाता।


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सोमवार, 18 अगस्त 2014

जय हो धोनी एंड कंपनी की !

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी खुश तो बहुत होंगे, ओवल टेस्ट महज ढ़ाई दिन में जो खत्म हो गया। मैनचेस्टर में चौथे टेस्ट मैच में तीसरे ही दिन पारी और 54 रनों से करारी हार के बाद धोनी की खुशी देखने लायक थी। आखिर ओवल में पांचवे और अंतिम टेस्ट मैच से पहले भारतीय टीम को आराम के लिए दो दिन का अतिरिक्त समय जो मिल गया था। टीम ने इस समय का सदुपयोग करने का फायदा भी ओवल में पांचवे टेस्ट मैच में साफ नजर आया और भारत ने अपने शानदार प्रदर्शन से इस मैच को ढ़ाई दिन से ज्यादा नहीं चलने दिया।
खास बात तो ये रही कि भारतीय खिलाड़ियों ने इस मैच में अपना प्रदर्शन सुधारते हुए हार का अंतर पारी और 54 रनों से बढ़ाकर पारी और 244 रन कर दिया। इतना ही नहीं भारतीय टीम ने अपने प्रदर्शन के दम पर एक और रिकार्ड अपने नाम कर लिया। रिकार्ड 40 सालों में इंग्लैंड के हाथों सबसे बड़ी और शर्मनाक हार का। 1974 में अजीत वाडेकर की कप्तानी में इंग्लैंड के हाथों पारी और 285 रनों से हारने के बाद इस नए रिकार्ड को बनाने के लिए भारतीय खिलाड़ी इतने उतावले दिखाई दे रहे थे कि पूरी टीम महज 143 मिनट में ही ढ़ेर हो गई। जिस पिच पर अंग्रेजों ने पहली पारी में 486 रन ठोक डाले, उस पिच पर भारतीय टीम पहली पारी में 148 रनों पर ढ़ेर हो गई तो दूसरी पारी में सिर्फ 98 रन ही बना सके।
सिर्फ सीरीज के पहले और दूसरे टेस्ट मैच को छोड़ दिया जाए तो तीसरे, चौथे और पांचवे टेस्ट मैच में भारतीय खिलाड़ी अंग्रेजों के सामने घुटने टेकटे नजर आए। पहला टेस्ट मैच ड्रा कराने के बाद जब भारतीय टीम ने लार्डस में दूसरा टेस्ट मैच 95 रनों से जीता तो लगने लगा था कि शायद भारत सीरीज अपने नाम कर अंग्रेजों से पिछली दो सीरीज में मिली हार का बदला ले लेगा लेकिन लार्डस में जीत की खुमारी भारत पर भारी पड़ गयी और एक के बाद एक इंग्लैंड ने आखिरी के तीनों टेस्ट मैचों में भारत को करारी हार का स्वाद चखा कर सीरीज 3-1 से जीतकर भारत के सीरीज जीतने के सपने को चूर चूर कर दिया।
सीरीज में 1-0 की बढ़त लेने के बाद 3-1 से सीरीज को गंवा देना ये बताने के लिए काफी है कि लार्डस में मिली 28 साल बाद ऐतिहासिक जीत के बाद भारतीय खिलाड़ियों अति आत्मविश्वास से लबरेज थे, और यही अति आत्मविश्वास भारतीय टीम को ले डूबा। जबकि दूसरे टेस्ट मैच में लार्डस में हार झेलने के बाद कड़ी आलोचना झेलने वाले इंग्लैड के कप्तान एलिस्टर कुक ने न सिर्फ अगले मैच में निराशा से उबरते हुए टीम को शानदार जीत दिलाई बल्कि सीरीज में पिछड़ने के बाद भी सीरीज 3-1 से जीत ली।
सीरीज में इस परिणाम के बाद कहने में कोई हर्ज नहीं कि अंग्रेजों ने शानदार खेल का प्रदर्शन किया जबकि भारतीय खिलाड़ियों ने भारत को शर्मशार करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। अपने हर अगले मैच में भारतीय खिलाड़ी हार के नए रिकार्ड बनाने के लिए उतावले दिखाई दे रहे थे।
बहरहाल देखना रोचक होगा कि भारतीय टीम इस करारी हार से कोई सबक लेकर 25 अगस्त से शुरु हो रही पांच वन डे मैचों की सीरीज और एक टी 20 मैच जीतकर अंग्रेजों से बदला ले पाएगी या फिर भारतीय क्रिकेट टीम का ये शर्मनाक प्रदर्शन जारी रहेगा। उम्मीद पर दुनिया कायम है, फिर ये तो क्रिकेट है, ये तो खेल ही अनिश्चितताओं का है।   


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