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रविवार, 28 दिसंबर 2014

जम्मू-कश्मीर- बनेगी समझौते की सरकार !

मिशन तो 44 का था लेकिन जम्मू कश्मीर में अपने दम पर 25 सीटें जीतना भी भारतीय जनता पार्टी के लिए किसी सपने की ही तरह था, लेकिन चुनावी नतीजों ने भाजपा को इतराने का मौका दे दिय़ा था। मिशन 44 भले ही 25 सीटों पर ही अटक गया हो, लेकिन भाजपा के लिए ये 25 सीटें भी किसी चमत्कार की ही तरह हैं। भाजपा खुशी भले ही मना रही हो लेकिन घाटी में भाजपा का खाता भी न खुलना ये साबित करने के लिए काफी है कि जम्मू कश्मीर में अपने दम पर सरकार बनाने के लिए उसे घाटी की अवाम में विश्वास पैदा करना जरूरी है।
चुनावी नतीजों के बाद पहली बार राज्य में सीटों के मामले में नंबर दो की पोजिशन में खड़ी भाजपा सरकार गठन में फिलहाल किंगमेकर की स्थिति में दिखाई दे रही है। सरकार गठन का कवायद जारी है और भाजपा किसी भी सूरत में हाथ आया ये मौका गंवाना नहीं चाहती। शायद इसलिए ही चुनाव प्रचार के दौरान परिवारवाद को लेकर नेश्नल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को कोसने वाली भाजपा अब इन दोनों के साथ मिलकर भी सरकार बनाने की जुगत में जुट गई है। भाजपा को अब तो न ही एनसी से हाथ मिलाने में कोई गुरेज है और न ही पीडीपी से।
राज्य में किसी भी दल को भले ही जनता ने स्पष्ट जनादेश नहीं दिया लेकिन इसके बाद भी सरकार बनाने की जोड़तोड़ अपने चरम पर है। मोदी लहर पर सवार अतिउत्साहित भाजपा अपने कांग्रेस मुक्त नारे को साकार करने के लिए राज्य में सरकार गठन के लिए पूरी ताकत लगा दी है तो 2008 से सत्ता का वनवास झेल रही पीडीपी इस वनवास को ख्त्म करना चाहती है। ऐसे में सत्ता से बेदखल हुए एनसी भी सिर्फ 15 सीटें जीतने के बाद भी सत्ता का हिस्सा बने रहना चाहती है।
शायद इसलिए ही एनसी और पीडीपी को भाजपा से हाथ मिलाने में तकलीफ नहीं है तो इसी तरह 12 सीटें जीतने वाली कांग्रेस को भी पीडीपी या एनसी के साथ जाने से कोई गुरेज नहीं है!
लोकतंत्र में जनता पर एक और चुनाव के बोझ से तो बेहतर है कि राज्य में सरकार गठित हो लेकिन सरकार बनेगी कैसे इस पर संशय फिलहाल बरकरार है! वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते हुए चुनाव प्रचार के दौरान एक दूसरे को पानी पी पी कर कोसने वाले राजनीतिक दल अगर हाथ मिलाकर सरकार बना लेते हैं तो हैरानी नहीं होनी चाहिए ! अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं को साधने के लिए राजनीतिक समझौते के गुणा भाग के जरिए कौन जम्मू कश्मीर की सत्ता पर 6 साल का सफर शुरु करेगा इस पर से भी जल्द ही पर्दा हट ही जाएगा लेकिन जम्मू कश्मीर में सरकार गठन की ये गुणा भाग भाजपा, पीडीपी, एनसी और कांग्रेस के साथ ही उन तमाम छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों पर भी जरूर सवाल खड़ा करेगा, जो वोट के लिए चुनाव से पहले जनता के बीच गए तो किसी और वादे के साथ थे लेकिन सत्ता के लिए अपने वादों से पलट गए ! बहरहाल देखना रोचक होगा कि अपने इस फैसले को ये राजनीतिक दल जनता के सामने कैसे जायज ठहराते हैं !

deepaktiwari555@gmail.com

गुरुवार, 18 दिसंबर 2014

132 चिराग बुझे, पाकिस्तान नहीं संभला !

पेशावर में जो हुआ, उसके बाद किसी का भी खून खौलना लाजिमी है, पाकिस्तान का भी खून खौला और पाकिस्तान ने भी आतंकियों के सफाए की कसम खाई। पाकिस्तान के खैबर के कबीलाई इलाकों में तिराह घाटी में तालिबान के ठिकानों पर 57 आतंकवादियों को मौत के घाट उतारने की ख़बर भी आई। ये ख़बर 132 मासूमों के माता पिता के दर्द पर तो मरहम नहीं लगा सकती, लेकिन पाक का ये कदम आतंकियों की पनाहगाह बने रहने के आरोपों को कुछ हद तक धोने की तरफ एक बढ़ता हुआ कदम जरूर था। हालांकि ये कदम कितने आगे बढ़ेगा इस पर शक बरकरार था !
शक बरकरार था और कुछ ही घंटों में ये साबित भी हो गया जब पाकिस्तान से एक और ख़बर आई। पेशावर में तालिबान की कायराना करतूत के बाद आतंकियों का खात्मा करने का दम भरने वाले पाकिस्तान से इस ख़बर का आना हैरान करने वाला था। साथ ही पाकिस्तान की बातों पर भरोसा करने का भरोसा तोड़ने वाला भी ! (पढ़ें-एक हाथ में पेंसिल, एक में बंदूक !)
ख़बर ये कि भारत में आतंक फैलाने के आरोपी जकीउर्रहमान लखवी को पाकिस्तान की एक अदालत ने जमानत दे दी है। लश्कर तैयबा का कमांडर लखवी मुंबई हमलों के उन सात आरोपियों में से एक है, जिन पर पाकिस्तान में मुंबई हमलों का केस चल रहा है। लखवी के अलावा अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, सादिक, शाहिद जमील रियाज, जमील अहमद और यूनस अंजुम को 2009 में गिरफ्तार किया गया था। इन सब पर मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमलों की साजिश रचने का आरोप है। इन हमलों में 166 लोग मारे गए थे जबकि 300 से ज्यादा घायल हुए थे।
आतंकियों के खात्मे की बात करना और 166 लोगों की मौत के आरोपी, जिसके पुख्ता सबूत भारत ने पाकिस्तान को दिए हैं, उसे पाकिस्तान में जमानत मिल जाना वाकई में हैरान करता है। आतंकवाद का दंश झेलने के बाद भी पाकिस्तान का ये रवैया बताने के लिए काफी है कि आतंकियों को समाप्त करने की पाकिस्तान का संदेश सिर्फ और सिर्फ पेशावर में तालिबान के कायराना एक्शन का रिएक्शन भर है ! ऐसा लगता है, पाक में चीजें फिर से पहले जैसी हो जाएंगी और आतंकियों के लिए पाकिस्तान की धरती एक महफूज ठिकाने की ही तरह बना रहेगा !
हाफिज सईद, मुंबई हमले का मास्टरमाईंड से बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है, भारत पेशावर का शोक मना रहा है और वो पाकिस्तान के लोगों के दिल में भारत के खिलाफ ज़हर भर रहा है, भारत को खत्म करने की बात कर रहा है ! लेकिन पाकिस्तान खामोश है, उसे हाफिज़ सईद पाकिस्तान की सम्मानित शख्सियत में से एक है !
ये दोहरा रवैया ही तो है, जो पाकिस्तान को आतंक के मामले में हर बार बेनकाब करता रहा है, लेकिन इस बार लगा था कि शायद पाकिस्तान संभल जाएगा !
वो समझ जाएगा कि जिस राह में वह चल रहा है, वो उसके पैरों को ही लहूलुहान करेगी ! जिस हथियारों की फसल को वो बो रहा है, या बोए जाते देख रहा है, वो उसकी धरती पर ही खून की नदियां बहा देगी !
जिस आतंक की फैक्ट्री को वो अपनी आंखों के सामने फलने फूलने दे रहा है, वो उसका ही घर जला देगी
132 घरों के बुझे हुए चिराग तो फिर कभी रोशन नहीं हो सकते लेकिन लगा था कि खुद की लगाई आतंक की आग में जल रहे पाकिस्तान में इन मासूमों की दर्दनाक मौत के बाद शायद उम्मीदों के दिए जलेंगे और पाकिस्तान आतंक के अंत की लड़ाई के ऐलान को अंजाम तक पहुंचाएगा लेकिन जकीउर्रहमान लखवी की जमानत की ख़बर और हाफिज सईद के जहरीले बोल के बाद उम्मीदों के ये दिए भी अब टिमटिमाने लगे हैं !
उम्मीद तो यही करते हैं कि आतंक की आंधी में उम्मीदों के ये दिए सदा जलते रहेंगे और पाकिस्तान के पेशावर में क्या पूरी दुनिया में किसी घर का चिराग आतंकी हमलों में नहीं बुझेगा !


deepaktiwari555@gmail.com