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गुरुवार, 8 अगस्त 2013

मान गए मंत्री जी, आपका भी जवाब नहीं !

भीम सिंह, पहले इन्हें शायद न जानते हों लेकिन अब तो जान ही गए होंगे...आखिर काम ही ऐसा किया है साहब ने..! पेशे से तो राजनेता हैं, बिहार की जदयू सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री भी हैं लेकिन आपको जानकर हैरत होगी कि मंत्री जी का सामान्य ज्ञान कमाल का है..! सीमा पर 5 सैनिकों की शहादत (पढ़ें- पाक को भारत का करारा जवाब !) पर मंत्री जी ने जो बोला उससे कम से कम मेरा सामान्य ज्ञान तो बढ़ ही गया..! एक पत्रकार मित्र के सवाल पर मंत्री जी बोले कि सैनिक शहीद होने के लिए ही तो होते हैं..!
मंत्री जी के बयान के बाद मेरी जिज्ञासा का सागर तो हिलोरें मारने लगे है, सोच रहा था कि मंत्री जी से आग्रह करूं कि जरा मेरी जिज्ञासा को शांत करने का कष्ट कर मुझे कृतार्थ करें..!
तो मंत्री जी मैं कह रहा था कि अगर सैनिक शहीद होने के लिए होते हैं तो फिर देश की जनता किसलिए होती है और आप जैसे नेतागण किसलिए होते हैं जरा ये भी बता दीजिए..! अपने बयान पर माफी मांगने के बाद अब शायद आप अपना सामान्य ज्ञान बघार कर इन जिज्ञासाओं को शांत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे..!
लेकिन मंत्री जी चिंता मत करिए नीतिश कुमार की फटकार के बाद आप नहीं बोल सकते तो क्या आपके अंर्तमन की बातें मैं कागज पर उकेर देता हूं..! मैं तो सिर्फ सवाल पूछूंगा आप हां या न में उत्तर दे दीजिएगा…! क्या कहा अब पत्रकारों के किसी सवाल का जवाब नहीं देंगे..! ये लोग बात का बतंगड़ बना देते हैं..! चलिए कोई नहीं हां या न में सिर हिलाकर ही जवाब दे दीजिएगा इसमें तो कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए आपको..!
हां तो मैं ये पूछ रहा था कि अगर सैनिक शहीद होने के लिए होते हैं तो फिर जनता किसलिए होती है और आप जैसे नेतागण किसलिए होते हैं..?
कुछ तो बोलिए मंत्री जी..?
क्या जनता नेताओं के हाथों लुटने के लिए होती है..? भूख और कुपोषण से मरने के लिए होती है..? महंगाई के बोझ तले दबने के लिए होती है..? अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई आप जैसे नेताओं के चरणों में अर्पित करने के लिए होती है..?
कुछ तो बोलिए मंत्री जी, इशारों से काम नहीं चलेगा, कम से कम हां या न कुछ तो बोलिए..!
ये क्या मंत्री जी..? हां में भी सिर हिला रहे हैं और न में भी..! आखिर आप कहना क्या चाहते हैं..? थोड़ा कन्फ्यूज लग रहे हैं..!
चलिए कोई बात नहीं मत बताइए लेकिन अपने से जुड़े सवाल का जवाब तो दे दीजिए कि आखिर आप जैसे नेतागण किसलिए होते हैं..?
क्या जनता तो लूटने के लिए होते हैं..? जनता की मेहनत की कमाई को भ्रष्टाचार और घोटालों में उड़ाने के लिए होते हैं..? देश के पैसे को विदेशी बैंकों में कालेधन के रुप में जमा करने के लिए होते हैं..?
हां या न कुछ तो बोलिए मंत्री जी..! ये क्या..? मुझे चुप रहने का इशारा क्यों कर रहे हैं..? अरे हां या न में जवाब दे दीजिए, मैं किसी को नहीं बताऊंगा..! अरे कहां उठ कर चल दिए मंत्री जी..? सुनिए तो सही, जवाब तो देते जाइए मंत्री जी..!
मंत्री जी...मंत्री जी...मंत्री जी..! (पढ़ें- शर्म करो सरकार !)
ये लो, मंत्री जी तो बिना जवाब दिए ही चल दिए लेकिन क्या वाकई में इन सवालों के जवाब जानने की जरुरत है..?
दिल्ली से लेकर देश के हर कोने में ऐसे हजारों भीम सिंह मौजूद हैं, जिनकी जुबान ज्यादा दिन तक खामोश नहीं रह सकती..! देर सबेर कोई न कोई भीम सिंह इन सवालों का जवाब दे ही देगा..! वैसे भी हमें तो आदत सी हो गई है भीम सिंह जैसों की बेतुकी बातों को सुनने की..! लेकिन याद रखिए इनको कोई अगर जवाब दे सकता है तो वो हम ही हैं लेकिन क्या हम एकजुट होकर कभी इनको जवाब दे पाएंगे..? कई राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ ही आम चुनाव करीब है सोच लिजिए ऐसे नेताओं को जवाब देना है या फिर ऐसे ही रहना है..?


deepaktiwari555@gmail.com

बुधवार, 7 अगस्त 2013

शर्म करो सरकार !

भारतीय सीमा में घुसकर भारतीय जवानों पर हमले की निंदा और इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देने का काम भारत सरकार ने बिना देर किए कल ही निपटा दिया था। लगे हाथों हमारे रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने संसद में अपने बयान में पाकिस्तान को ये कहकर क्लीन चिट दे दी कि हमला करने वाले आतंकी पाकिस्तानी सेना की वर्दी में थे..! वैसे भी पाकिस्तान हर बार की तरह इस बार भी पहले ही इंकार कर चुका है कि उसका इस हमले में हाथ नहीं है..! (पढ़ें- पाक को भारत का करारा जवाब !)
पाकिस्तान के हमले पर सरकारी उदासीनता को लेकर देश गुस्से में है लेकिन कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने पाक के खिलाफ कोई कठोर कदम उठाने की बजाए एनडीए और यूपीए शासनकाल में हुए आतंकी हमलों और इसमें हुए आम लोगों की मौत और सैनिकों की शहादत के आंकड़ों की तुलना कर इस पर भी सियासत शुरु कर दी है..!
कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन कह रहे हैं कि एनडीए के राज में 1998 से 2004 के दौरान जम्मू कश्मीर में सबसे ज्यादा 6115 आम नागरिक मारे गए जबकि यूपीए के दौर में पिछले साल सिर्फ 15 लोग मारे गए। एनडीए के राज में 1998 से 2004 के दौरान कुल 23603 आतंकी वारदात हुईं यानी हर साल 3372 आतंकी वारदात जबकि यूपीए राज में पिछले साल सिर्फ 220 ऐसी घटनाएं हुईं। माकन आंकड़ों का हवाला देकर कहते हैं कि इससे साबित होता है कि हमारी सरकार देश की सुरक्षा को लेकर गंभीर है..!
माकन साहब आतंकी घटनाओं की तुलना कर आप सरकार की गंभीरता को दिखाने का प्रयास कर रहे हैं..? पिछली सरकार के कार्यकाल से तुलना करने से आपका दामन पाक साफ नहीं हो जाता..! आपको तो जनता ने बेहतरी के लिए चुना है न, तो अच्छा कीजिए, पिछली सरकार के कामों का हवाला देकर अपनी गलतियों पर पर्दा डालने से आप खुद को दूध का धुला साबित नहीं कर सकते..!
यूपीए सरकार के कार्यकाल में कम घटनाएं हुई इसके लिए आपको बधाई...अब खुश हैं आप..? लेकिन अगर एक भी घटना हो रही है, एक भी जवान शहीद हो रहा है तो क्यों..? क्या इसे रोकने के लिए कारगर कदम उठाना आपकी सरकार की जिम्मेदारी नहीं है..?   
अगर सीमा में पाकिस्तानी सैनिकों के हमले में एक भी भारतीय जवान शहीद हो रहा है तो उस पर भी आपको दर्द होना चाहिए..! क्योंकि वो भी किसी का बेटा है, किसी का पति है, किसी का भाई है, किसी का पिता है..! जो अपने परिजनों से हजारों किलोमीटर दूर विपरित परिस्थितियों में उन दुर्गम इलाकों में देश की रक्षा के लिए जी जान लगा देता है जहां रहना किसी चुनौती से कम नही है..! लेकिन आप इस दर्द को कैसे समझेंगे इनमे आपका कोई अपना नहीं है न..!
आपके लिए तो लगता है भारत मां से भी बढ़कर सत्ता है, कुर्सी है..! जिस पर रहते हुए आप दुश्मनों से भारत मां की रक्षा के लिए कोई कदम उठाने की बजाए आंकड़ों का सहारा लेकर राजनीति कर रहे हैं..! आप क्या इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि एनडीए सरकार के कार्यकाल से ज्यादा घटनाएं या हमले जब यूपीए सरकार के कार्यकाल में होंगे तब ही आप देश की सुरक्षा को लेकर गंभीर होंगे..?
वक्त है, अब भी संभल जाओ ये वक्त राजनीति करने का नहीं है बल्कि पाकिस्तान जैसे धूर्त पडोसी को करारा जवाब देने का है, हमारी चुप्पी पाकिस्तान का हौसला ही बढ़ाती है जो आए दिन ऐसे हमलों के रुप में सामने आते हैं..!


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मंगलवार, 6 अगस्त 2013

पाक को भारत का करारा जवाब !

लो, फिर दिखा दिया पाकिस्तान ने दम कि उनके पास खाने के लिए खाना नहीं है, तो क्या भारतीय सैनिकों को खिलाने के लिए गोली की कोई कमी नहीं है..! भारतीय सीमा में घुसकर 5 भारतीय सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया..! सुना है, इस बार भारत ने भी पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है..! भारत सरकार ने पाक डिप्टी हाई कमिश्नर को तलब कर भारतीय सैनिकों पर हमले के विरोध में कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है..! 5 भारतीय जवान पाकिस्तानी हमले में शहीद हो गए तो क्या बदले में भारत ने भी तो पाक की इस नापाक करतूत पर कड़ी आपत्ति जतायी है..! सुना है भारत की इस कड़ी आपत्ति से पाक डिप्टी हाई कमिश्नर काफी घबरा गए थे और उन्होंने इस बार भारत को पक्का भरोसा दिलाया है कि आगे से पाकिस्तान ऐसी हरकत नहीं करेगा..! (पढ़ें- लातों के भूत बातों से नहीं मानते)
गजब है भारत सरकार भी..! हमारे रक्षा मंत्री एंटनी बताते हैं कि 2013 में पाकिस्तानी सेना ने 17 बार घुसपैठ की कोशिश की तो 57 बार सीज फायर का उल्लंघन किया। सरकार को सीमा पर एक-एक घुसपैठ और सीज फायर उल्लंघन की जानकारी है लेकिन बदले में सरकार ने क्या किया..? पाकिस्तानी हमलों की निंदा की, पाक के समक्ष कड़ी आपत्ति जतायी..! भारत ने ये भी कहा कि भारत जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है लेकिन वो जवाबी कार्रवाई कब होगी..? ये नहीं पता..? लगातार पाक की नापाक करतूतों पर भारत सरकार के रवैये को देखकर तो ऐसा लगता है कि भारत सरकार पाकिस्तान के सीज फायर उल्लंघन और घुसपैठ के शतक पूरा होने का इंतजार कर रही है या फिर भारतीय सैनिकों के शहीद होने का शतक..!
ज्यादा दिन पुरानी बात नहीं है जब पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत की सीमा में घुसकर हमारे दो सैनिकों के सिर कलम कर दिए थे, तब क्या हुआ था..? (पढ़ें- मनमोहन को जगाओ, देश बचाओ !) कुछ दिन हो हल्ला मचा, उसके बाद फिर सब कुछ शांत हो गया..! हां सरकार में शामिल नेताओं, मंत्रियों के दो-एक घोटालों की गूंज जरुर सुनाई दी थी..!
दरअसल हमारी सरकार को देश की सुरक्षा से कुछ लेना देना ही नहीं है..! एक तरफ चीन भारतीय क्षेत्र में आए दिन घुसपैठ कर उसे अपना इलाका बता कर भारत को आंखे दिखा रहा है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान हमारे सैनिकों को मौत के घाट उतार रहा है..! सरकार को देश की सुरक्षा की चिंता होती तो क्या चीन और पाकिस्तान को लेकर भारत सरकार गंभीर नहीं होती..! लेकिन सरकार तो अपने ही मसलों में उलझी हुई है..! सत्तारुढ़ दल को तो चीन और पाक की नापाक करतूतों से निपटने की ज्यादा चिंता शायद इस बात की है कि कैसे 2014 के आम चुनाव में फिर से सत्ता हासिल की जाए..! (पढ़ें- वर्ना बदल जाएगा भारत का नक्शा..!)
वोटबैंक के लिए देश की जनता को ही आपस में बांटने की जुगत में तो ये लगे रहते हैं लेकिन कैसे देश सुरक्षा से जुड़े मसलों पर चर्चा के लिए, देश के दुश्मनों को करारा जवाब देने के लिए इनके पास शायद वक्त नहीं है..! हां, भारतीय सैनिकों का सिर कलम करने वालों को दावत देने के लिए ये अपने व्यस्तता के बीच भी समय निकाल ही लेते हैं..!
फिर से कहा जा रहा है कि भारत कड़ी कार्रवाई करेगा लेकिन देखिएगा कुछ दिनों में फिर सब भुला दिया जाएगा..! चर्चा होगी तो वही भ्रष्टाचार, घोटालों की और चरम पर होगी सत्ता पाने के लिए वोटबैंक की राजनीति लेकिन भारतीय सैनिकों की शहादत का कहीं जिक्र तक नहीं होगा..! फिर ऐसी ही कोई घटना होगी तो फिर से बयानबाजी होगी, कड़ी आपत्ति जतायी जाएगी, निंदा की जाएगी और फिर से इसे भुला दिया जाएगा लेकिन देश की सुरक्षा को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जाएगा..! (पढ़ें- और कितने थप्पड़ खाओगे..?)
शायद यही भारत का दुर्भाग्य है कि जिन्हें देश की जनता ने देश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी है, जिनके कंधों पर देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी है उनके लिए देश हित से बढ़कर उनके व्यक्तिगत हित हैं और उन्हें पूरा करने के लिए वे देश की सुरक्षा से भी समझौता करने में पीछे नहीं हटते..! (पढ़ें- मेरा भारत महान ! कोई शक..?)


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रविवार, 4 अगस्त 2013

अदालत में बहुगुणा का झूठ !

टीवी चैनल बदलते बदलते इंडिया टीवी में जैसे तैसे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने विजय बहुगुणा पर नजर पड़ी तो देखा कि बहुगुणा साहब रजत शर्मा के साथ आप की अदालत कार्यक्रम में उत्तराखंड में आई भीषण त्रासदी पर रजत शर्मा के सवालों का जवाब दे रहे थे। हर एक सवाल पर बहुगुणा असहज दिखाई दे रहे थे लेकिन इसके बाद भी बहुगुणा साहब ने आपदा प्रबंधन के साथ ही राहत एवं बचाव कार्य में देरी को लेकर सरकार की नाकामी को स्वीकार नहीं किया..! (पढ़ें - उत्तराखंड के वो दिल्ली वाले मुख्यमंत्री..!)
हैरत तो तब हुई जब बहुगुणा साहब किसी तरह की खामी को स्वीकारने की बजाए राहत एंव बचाव कार्य को दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन बताकर वाहवाही लूटने का प्रयास करने लगे..! विजय बहुगुणा साहब शायद ये भूल गए कि दिस रेस्क्यू ऑपरेशन पर वो आज इतरा रहे हैं, वो भारतीय सेना के जांबाज सिपाहियों की बदौलत ही संभव हो पाया है वर्ना उनकी सरकार तो त्रासदी के करीब डेढ़ माह बाद भी प्रभावितों को ठीक तरह से मदद तक नहीं पहुंचा पाई है..!
मीडिया मैनेजमेंट में करोड़ों रुपए खर्च कर अपनी व सरकार की छवि को सुधारने की कोशिश में जुटे विजय बहुगुणा भले ही अख़बारों और टीवी में विज्ञापन के जरिए अपनी पीठ थपथपा रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि उत्तराखंड के आपदा प्रभावित जिलों उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली और पिथौरागढ़ के सुदूर इलाकों में आपदा प्रभावित आज भी दाने दाने के लिए मोहताज हैं..! मीडिया वहां तक पहुंच गया, स्वंय सेवी संगठन के लोग वहां तक पहुंच गए लेकिन सरकार का कोई प्रतिनिधि आज तक वहां तक क्यों नहीं पहुंच पाया इसका जवाब उत्तराखंड सरकार के किसी नुमाइंदे के पास नहीं है..?
बहुगुणा को छोड़िए उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी भी आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा करने के नाम पर खूब हवाई सैर का लुत्फ उठा रहे हैं, लेकिन दुर्गम पहाड़ी इलाकों में प्रसाव पीड़ा से कराह रही गर्भवती महिलाओं को सुपक्षित प्रसव के लिए अस्पताल पहुंचाने के लिए बहुगुणा सरकार के पास कोई साधन नहीं है..!
सरकार की नाकामी के हर सवाल पर बहुगुणा साहब त्रासदी को कुदरत का कहर बताते हुए सरकार की लाचार तस्वीर पेश कर रहे थे लेकिन आपदा प्रबंधन पूरी तरह फेल क्यों हो गया इसका जवाब विजय बहुगुणा नहीं दे सके..? वे तो इसके लिए भी कुदरत को ही दोषी ठहराने लगे और दलील देने लगे कि ऐसी त्रासदी से निपटना हिंदुस्तान क्या दुनिया की किसी सरकार के बस में नहीं है..! पूरी तरह नाकाम रहने के बाद भी विजय बहुगुणा उत्तराखंड त्रासदी में एक प्रतिशत भी सरकारी नाकामी को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं..! ऐसा नहीं है उत्तराखंड सरकार ने कुछ काम नहीं किया लेकिन ऐसी भीषण त्रासदी के वक्त जो संवेदनहीनता और तत्परता दिखाई देनी चाहिए थी वो कहीं भी नहीं दिखाई दी..!  
त्रासदी के करीब डेढ़ माह बाद भी केदारनाथ मंदिर में पूजा की सरकार को फिक्र है लेकिन त्रासदी में आपना सब कुछ गंवा बैठी अपनी प्रजा की चिंता सरकार के राजा को नहीं है..!
टीवी कार्यक्रम में ही सही अदालत के कठघरे में त्रासदी के सवालों का जवाब देते पूर्व जज रहे मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा हर सवाल पर असहज होते हुए भी बड़ी ही चालाकी से खुद का व सरकार का बचाव करने में सफल भले ही रहे लेकिन बहुगुणा साहब ये भूल रहे हैं कि अपनी नाकामियों को वह ज्यादा दिनों तक नहीं छिपा सकते और देर सबेर उन्हें जनता को जवाब देना ही होगा..!


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