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बुधवार, 16 अक्तूबर 2013

मीडिया पर मेहरबान बहुगुणा सरकार !

उत्तराखंड में आई भीषण त्रासदी में जहां हजारों लोग मौत के आगोश में समा गए वहीं पलभर में लाखों लोगों की खुशियां मातम में बदल गयी। घर बार सब कुछ त्रासदी की भेंट चढ़ जाने से लोग सड़कों पर आ गए। पलभर में मानो उनकी दुनिया ही उजड़ गयी। ऐसे मुश्किल वक्त में देशवासियों ने दिल खोलकर आपदा प्रभावितों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए। सरकारी आंकड़े कहते हैं कि अभी तक मुख्यमंत्री राहत कोष में देशभर से करीब 327 करोड़ रुपए जमा हो चुके हैं जबकि बहुगुणा सरकार ने इस राशि में से करीब 125 करोड़ रुपए खर्च भी कर चुकी है। लेकिन सवाल ये खड़ा होता है कि फंड की कोई कमी न होने के बावजूद भी आपदा प्रभावितों की मदद को लेकर राज्य सरकार आखिर अपना खजाना खोलने में क्यों शर्मा रही है, जबकि अपनी नाकामियां छिपाने के लिए राज्य सरकार ने मीडिया के लिए खजाने का मुंह खोलने में जरा सी भी देर नहीं की।
सूबे के मुखिया विजय बहुगुणा कहते हैं कि आपदा प्रभावितों को हर संभव मदद दी जा रही है। उनके राहत एवं पुनर्वास में कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही है, लेकिन ऐसा दिखता तो नहीं। जो दिख रहा है, वो यह कि विजय बहुगुणा ने आपदा के बाद से सरकारी नाकामी पर पर्दा डालने और सरकार की छवि चमकाने के लिए मीडिया पर दिल खोलकर सरकारी खजाना लुटाया। शायद ही ऐसा कोई समाचार चैनल, समाचार पत्र या फिर पत्रिका होगी जिसमें सरकार के गुणगान के लिए बहुगुणा ने सरकारी विज्ञापन के नाम पर पानी की तरह पैसा न बहाया हो।
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार आपदा के बाद से सितंबर तक बहगुणा सरकार ने करीब साढ़े 22 करोड़ रुपए के सरकारी विज्ञापन विभिन्न समाचार चैनलों, समाचार पत्रों औऱ पत्रिकाओं को जारी किए। उत्तराखंड में आपदा प्रभावित दाने दाने को मोहताज हो रहे थे। लेकिन इन सरकारी विज्ञापनों के जरिए समाचार चैनलों, समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में सरकार की तारीफ में कसीदे पढ़े जा रहे थे। बताया जा रहा था कि आपदा के दौरान सरकार के गुडवर्क के चलते हजारों लोगों की जानें बचायी गयी तों आपदा प्रभावितों को तत्काल राहत सामग्री पहुंचाई गयी।
मुख्यमंत्री बहुगुणा भले ही राहत कोष में जमा पैसे का उपयोग आपदा प्रभावितों के कल्याण के लिए खर्च करने की बात कर रहे हों लेकिन बड़ा सवाल ये है कि कहीं आमजन के लिए चलने वाली तमाम सरकारी योजनाओं के पैसे की तरह ही राहत राशि की बंदरबाट तो नहीं होगी और ये पैसा आपदा प्रभावितों की जिंदगी रोशन करने की बजाए भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों की जेबों को तो रोशन नहीं करेगा। कुल मिलाकर उत्तराखंड सरकार के पास फिलहाल आपदा प्रभावितों की मदद के साथ ही आपदा प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए फंड की कोई कमी नहीं है। कमी दिखाई देती है तो सरकार की नीयत में, कमी दिखाई देती है तो सरकार की ईच्छाशक्ति में, जिसका खामियाजा हर पल आपदा प्रभावितों को उठाना पड़ रहा है।

deepaktiwari555@gmail.com 


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